हस्तकला या शिल्पकला
विद्यालय में कला और शिल्प गतिविधियाँ छात्रों में रचनात्मकता और आत्म-अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यहाँ कुछ मुख्य पहलू दिए गए हैं:
गतिविधियाँ
ड्राइंग और पेंटिंग: छात्र अक्सर जलरंगों से लेकर ऐक्रेलिक तक विभिन्न प्रकार की दृश्य कलाओं में संलग्न होते हैं, जो कल्पना और कौशल विकास को प्रोत्साहित करती हैं।
शिल्प बनाना: गतिविधियों में नवीन परियोजनाएँ बनाने के लिए कागज़ शिल्प, मिट्टी की मॉडलिंग और पुनर्चक्रण सामग्री शामिल हो सकती हैं।
त्योहार और समारोह: कला को अक्सर स्कूल के समारोह में शामिल किया जाता है, जहाँ छात्र सजावट, पोस्टर और थीम वाली कलाकृतियाँ बनाते हैं।
प्रदर्शनियाँ: स्कूल छात्रों के काम को प्रदर्शित करने के लिए कला प्रदर्शनियों का आयोजन कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपनी रचनात्मकता प्रदर्शित करने के लिए एक मंच मिल सके।
लाभ
रचनात्मकता और कल्पना: कला में संलग्न होने से छात्रों को रचनात्मक रूप से सोचने और अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने में मदद मिलती है।
मोटर कौशल: शिल्प गतिविधियाँ मोटर कौशल और हाथ-आँख समन्वय को बढ़ाती हैं।
सांस्कृतिक प्रशंसा: कला और शिल्प में विभिन्न संस्कृतियों की पारंपरिक तकनीकें भी शामिल हो सकती हैं, जो विविधता के प्रति जागरूकता और सम्मान को बढ़ावा देती हैं।
प्रतियोगिताएँ
विद्यालय अक्सर अंतर-विद्यालय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, जिससे छात्रों को बड़े मंच पर अपनी कलात्मक प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। इससे न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि टीम वर्क और सहयोग को भी बढ़ावा मिलता है।