प्राचार्य की डेस्क से…
“शिक्षा अग्नि को प्रज्वलित करने जैसा है, बर्तन भरने जैसा नहीं।”
आज का समय रटने की आदत से अनुभवात्मक शिक्षा और कौशल विकास की ओर एक बड़ा बदलाव लाने का है। हमें अपने बच्चों में 21वीं सदी के कौशल विकसित करने की जरूरत है, ताकि वे वैश्विक स्तर पर प्रदर्शन कर सकें। हमें अपने बच्चों को न केवल आसमान में ऊंची उड़ान भरने के लिए बल्कि अपना खुद का आसमान बनाने के लिए पंख देने चाहिए। एनईपी 2020 ने एफएलएन, निपुण भारत, विद्या प्रवास खिलौना आधारित शिक्षाशास्त्र को शामिल करके और शिक्षा की संरचना को 10+2 से 5+3+3+4 में बदलकर शिक्षा के परिदृश्य को ही बदल दिया है। एक बच्चे को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक स्तर पर पोषित करने की आवश्यकता होती है।
हमारे शिक्षार्थियों की बदलती जरूरतों को पूरा करना हमारी नैतिक और धार्मिक जिम्मेदारी बन जाती है। मैं अपने सभी शिक्षकों से अपील करना चाहूंगी कि वे अपनी-अपनी कक्षा में सीखने का ऐसा माहौल बनाएं, जो हमारे बच्चों की जन्मजात प्रतिभा को पोषित करे और उनका समग्र विकास सुनिश्चित करे। एक शैक्षणिक नेता के रूप में, मैं आप सभी को विद्यालय में सीखने का माहौल बनाने और सभी हितधारकों को पेशेवर रूप से विकसित होने के समान अवसर प्रदान करने का आश्वासन देती हूं। शिक्षकों को सद्भाव और सहयोग के साथ काम करना चाहिए और अपने सहयोगियों के साथ महान तालमेल में काम करके अपने छात्रों के बीच सकारात्मक अनुभूति फैलानी चाहिए। मुझे अत्यधिक बौद्धिक शिक्षकों का होना अच्छा लगता है जो शिक्षा के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण कोविड युग ने शिक्षण और सीखने की प्रक्रिया को बदल दिया है। हर दिन नई चुनौतियाँ आती हैं, वे हमें अधिक सक्षम और अभिनव बनाने के लिए होती हैं। हर चुनौती हमें कड़ी मेहनत करने और सफलता के उच्च आसन तक पहुँचने के लिए प्रेरित करती है।
यह सभी जानते हैं कि केंद्रीय विद्यालय संगठन बिना किसी भेदभाव के सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में एक अग्रणी संगठन है। मुझे विश्वास है कि हमारे संरक्षकों के कुशल मार्गदर्शन और शिक्षकों के संयुक्त प्रयासों से, हम निश्चित रूप से हर दिन अपने आप को बेहतर बनाने के लिए विकसित होंगे और सफलता के शिखर पर पहुँचेंगे।
मुझे पूरा विश्वास है कि पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय 14 जीटीसी सुबाथू की मेरी टीम, हमारे युवा छात्र-छात्राओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक दिशा में मोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी, ताकि वे इस राष्ट्र को विकासशील बनाने में समर्थ हो और देश के सक्षम नागरिक बन सकें।
आशा चौधरी